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पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और ईडी छापेमारी के मामले में दिल्ली आ रही है ममता बनर्जी, PM मोदी और राष्ट्रपति से करेगीं मुलाकात

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ओर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 3 अगस्त से तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर आ रही है।

बुधवार की शाम पांच बजे तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नए मंत्रिमंडल का चेहरा सबके सामने होगा। बंगाल सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और ईडी छापेमारी के बीच तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी 3 अगस्त से तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली आ रही हैं।

इस दौरे पर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगी। साथ ही वह विपक्षी दलों के नेताओं से भी मिलेंगीं। पीएम से मुलाक़ात को लेकर तृणमूल पार्टी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि वो पीएम से मिलकर ईडी के मुद्दे पर पीएम से चर्चा करेंगी । इस बीच बड़ा सवाल ये है कि ममता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने का समय मांगती है या नहीं? यदि मांगती है तो क्या कांग्रेस समय देगी या नहीं? इस पर कांग्रेस में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

हमला बोला 

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए से पहले यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बना राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की अगुवाई करने वाली ममता ने कांग्रेस को अपने पीछे खड़े होने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में जब कांग्रेस ने अगुवाई की तो ममता ने अलग राह पकड़ ली, जिस पर कांग्रेस ने हमला बोला और कई आरोप लगाए।

बगैर कांग्रेस के विपक्षी मोर्चे का सियासी सुर अलापने वाली ममता बनर्जी को लेकर बंगाल की कांग्रेस यूनिट ने शीर्ष नेतृत्व को आगाह किया है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर अंदरखाने ये चर्चा होने लगी है कि पश्चिम बंगाल में ईडी के एक्शन को लेकर जब वो पीएम से मुलाकात करेंगी तब क्या वे विपक्षी नेताओं पर हो रहे एजेंसियों की कार्रवाई का भी जिक्र करेंगी या सिर्फ अपना राजनीतिक हित साधेंगी।

दिल्ली आकर पत्रकारों से भी मिलेंगी

इसलिए कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि ममता जब तक अपनी सियासी रणनीति में फेरबदल नहीं करतीं और कांग्रेस के प्रति अपने रवैये में बदलाव नहीं करतीं, तब तक उनका सोनिया से मिलना सिर्फ अपना सियासी हित साधना ही होगा। खबर है कि ममता दिल्ली दौरे पर पत्रकारों से भी मिलेंगी।

पिछली बार वो दिल्ली दौरे के दरम्यान शरद पवार और अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात कर चुकी हैं। छह अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग है, ऐसे में नजर इस बात पर है कि 2024 की तैयारी कर रही तृणमूल और कांग्रेस का सियासी संतुलन कैसा होगा? क्या बंगाल में संगठन के बिगाड़ के डर से कांग्रेस सियासी क़दमताल कर पाएंगी?

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