दोस्तो आपको जानकर हैरानी होगी Amazon जैसी करोड़ो का मुनाफा कमाने वाली कम्पनी टैक्स नही देती है
वही भारत मे करीब 52.911 के मुनाफे वाली छोटी-बड़ी कंपनियां भी जीरो टैक्स दे रही हैं। लेकिन हमारे कानूनों की खामियों का फायदा सिर्फ कारोबारी ही उठा रहे हैं, जो असल में करीब 80 फीसदी कमाते हैं। और हास्यास्पद बात यह है कि कभी-कभी कर्मचारी को उतना टैक्स देना पड़ता है जितना कि बॉस आयकर नहीं देता है। इसके अलावा लगभग 7 लाख करोड़पति किसानों ने कृषि से करोड़ों की कमाई की है और कोई कर नहीं दिया है। हालांकि,गरीब से गरीब व्यक्ति को भी किसी न किसी रूप में कर का भुगतान करना ही होगा। अरे, पर्यटकों को भी कुछ टैक्स देना पड़ता है। क्योंकि, प्रत्यक्ष करों के अलावा, कई अप्रत्यक्ष कर हैं।
खैर, ऐसी कानूनी खामियों और सरकार की इनकम टैक्स के जरिए होने वाली कमाई की बहस में लोग यह भी कह रहे हैं कि सरकार को क्या करना चाहिए? क्या होगा यदि देश की 1.40 करोड़ की आबादी में से केवल 1.46 करोड़ ही कर का भुगतान करते हैं ? और बात में दम है? क्योंकि, कई लोग इस सिस्टम में अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
तब ये सवाल उठता है की क्या सरकार देश को इनकम टैक्स फ्री कर दे? तो कुछ फायदा हो सकता है। लेकिन यह विचार, जो पूरी तरह से अनावश्यक लगता है, वास्तव में एक बड़े काम की चीज है। एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि देश में आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए इनकम टैक्स हटाया जाना चाहिए। हालांकि, दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां आयकर बिल्कुल भी लागू नहीं होता है। हालांकि, इन देशों में विकास बहुत अच्छा है। क्योंकि कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और इनकम टैक्स जैसे डायरेक्ट टैक्स के अलावा इनडायरेक्ट टैक्स भी होते हैं। ताकि सरकार की आय में कोई खास कमी न हो। और दूसरी तरफ इससे कई अदृश्य लाभ भी लिए जा सकते हैं, फिर देश को आयकर से मुक्त कर दिया जाए तो लाभ कहां होगा?
1. जिन लोगों के पास काला धन है, उनका इनकम टैक्स से बचा हुआ पैसा सबसे पहले बाहर आने लगेगा। इसका मतलब है कि उनका पैसा ईस फैसले के बाद काला नहीं होगा और सफेद हो जाएगा, तो उनको पैसे को छिपाकर रखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । और इस पैसे के निकल जाने के बाद वे इसका खुलकर इस्तेमाल करेंगे, बिना डरे चीजें खरीदेंगे। जिससे रुपये का प्रचलन बढ़ेगा। बैंक में भी जमा करा देंगे।
2. बैंक में जमा बढ़ाने से ब्याज दरों में भी कमी आएगी। जिससे लोग ज्यादा कर्ज लेंगे और बाजार में ज्यादा पैसा आएगा।
3. सरकार द्वारा आयकर जमा करने में किया गया खर्च कोई छोटा खर्च नहीं है।
4. वेबसाइट के रखरखाव, आयकर अधिकारियों पर पैसा खर्च करने, आयकर कार्यालय चलाने और करोड़ों रुपये खर्च करने जैसी अगणनीय राशि की बचत होगी।
5. समय की बचत होगी।
6. वहीं दूसरी ओर लोगों के पैसे भी बचेंगे। जैसे, रिटर्न फाइल करने के लिए अकाउंटेंट को हायर करना, फाइल बनाना, जिसमें बहुत सारे लोगों का पैसा और समय बर्बाद होता है।
7. साथ ही लोगों के टैक्स के पैसे बचाकर लोग इस पैसे का इस्तेमाल कहीं न कहीं करेंगे।
फिर, यदि आयकर हटा दिया जाता है, तो दूसरी ओर सरकार को राजस्व की हानि हो सकती है। लेकिन वास्तव में यह समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा तर्क दिया गया है। लेकिन कुछ तर्क ऐसे हैं जो अर्थव्यवस्था के पहियों को जादू की छड़ी की तरह काम कर सकते हैं। जिसमें मुख्य काला धन अब्जो रुपए में कहीं निकल सकता है। और जिस देश में यह परिसंचारी होता है वहां जीडीपी वृद्धि भी बढ़ने की संभावना है। और सरकार के पास भी जीएसटी जैसी तगड़ी ऑलरेडी भैंस है ना ? तो अगर इस तरह से काला धन निकल रहा है, तो यह विचार है बड़े काम की चीज है.और अंत में सरकार इसके अलावा, संपत्ति कर, विरासत कर से देश के शीर्ष लोग जैसे टैक्स ले सकते हैं।
ये एक आईडिया है जो कि, सुस्तहाल इकोनॉमी में काफी सुधार ला सकता है। पहले तो ये ब्लेक नाम का शब्द हट जाने से जो लोग करोडो का धन छिपाकर भारत मे या भारत बाहर जमा करके रखे है, वो लोग खुद चलकर बाहर आएंगे। जमकर खरीदी होगी तो इकोनॉमी को तो बूस्ट होना ही है। काले धन से नाम से ही सब से पहले तो काफी नुकसान होता है, लोग खुद को ही चोर समझते है। ये इकोनॉमीक के साथ मानसिक कवायत भी होगी। एकबार एक्सपर्ट्स की पेनल के सुजाव मंगाकर देखना चाहिए।