डायबिटीज या मधुमेह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। डायबिटीज़ के निदान के लिए इस प्रकार के कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है- एसी टेस्ट (A1C test or glycohaemoglobin test) इस प्रकार का टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए किया जाता है। जिसमें, मरीज़ को हर 3 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना होता है और उसका एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल जांचा जाता है।
एसी टेस्ट में 5 से 10 तक के अंकों में ब्लड में ग्लूकोज का स्तर मापा जाता है। अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा दिखाया जाता है तो वह नॉर्मल होता है। लेकिन अगर किसी का ए1सी लेवल 6.5% से अधिक दिखायी पड़ता है तो वह, डायबिटीज़ का मरीज़ कहलाता है। फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट हाई ब्लड शुगर की स्थिति को समझने के लिए यह सबसे आम ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को खाली पेट रहते हुए ब्लड सैम्पल देना पड़ता है। जिसके लिए 10-12 घंटों तक भूखे रहने के लिए कहा जाता है। उसके बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट इस टेस्ट में भी खाली पेट रहते ही ब्लड सैम्पल लिया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है। रैंडम ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट इस प्रकार के टेस्ट में पीड़ित व्यक्ति के ब्लड सैम्पल की 4 बार जांच की जाती है। अगर ब्लड शुगर लेवल दो बार नॉर्मल से ज़्यादा पाया जाता है तो प्रेगनेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज होने की पुष्टि की जाती है।
शुगर को खत्म करने का घरेलू देशी इलाज
सुबह एक गिलास पानी लें और उसमे नीम की पत्तिया उबालें। पानी आधा रह जाए, तो खाली पेट इसे छानकर पी लें। नीम की पत्तियां शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करती है।